New India: ऑर्गन ट्रांसपोर्ट के लिए ड्रोन तकनीक का अनावरण, जल्द तैयार होगी भारत की पहली नाइट स्काई सेंचुरी

एमजीएम हेल्थकेयर के निदेशक डॉ प्रशांत राजगोपालन ने कहा कि वर्तमान में ड्रोन का इस्तेमाल अंगों वाले बॉक्स को 20 किमी की दूरी तक ले जाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उनके अस्पताल ने अंगों को स्थानांतरित करने के लिए शहर की एक ड्रोन कंपनी के साथ समझौता किया है।

भारत में अब मानव अंगों को प्रत्यारोपण के लिए ड्रोन के द्वारा हवाई अड्डे से अस्पताल तक ले जाना संभव होगा। शनिवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मानव अंग प्रत्यारोपण के परिवहन को लेकर देश की पहली ‘प्रोटोटाइप’ ड्रोन तकनीक का अनावरण किया। उन्होंने बहुउद्देशीय अस्पताल एमजीएम हेल्थकेयर चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान इसका अनावरण किया। प्रत्यारोपण के लिए काटे गए अंगो को  ड्रोन के जरिए हवाई अड्डे से अस्पताल तक ले जाने समय की बचत होगी।

इस मौके पर एमजीएम हेल्थकेयर के निदेशक डॉ प्रशांत राजगोपालन ने कहा कि वर्तमान में ड्रोन का इस्तेमाल अंगों वाले बॉक्स को 20 किमी की दूरी तक ले जाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उनके अस्पताल ने अंगों को स्थानांतरित करने के लिए शहर की एक ड्रोन कंपनी के साथ समझौता किया है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य प्रत्यारोपण के लिए अंगों को आसानी से अस्पताल तक पहुंचाने के लिए परिवहन में क्रांति लाना है।

वहीं, इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली से वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने संबोधन में कहा कि ड्रोन के उपयोग से हवाई अड्डे से अंगों को ले जाने के कम समय लगेगा और काफी मददगार साबित होगी। वहीं, तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने प्रोटोटाइप की सराहना करते हुए कहा इससे अधिक लोगों की जान बचाने का मार्ग प्रशस्त होगा और वह इसे बनाने और जल्द शुरु करने लिए सभी तरह का समर्थन देंगे।

अगले तीन महीनों में तैयार होगी भारत की पहली नाइट स्काई सेंचुरी

भारत की पहली नाइट स्काई सेंचुरी को अगले तीन महीनों के भीतर लद्दाख में स्थापित किया जाएगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित डार्क स्काई रिजर्व लद्दाख के हनले में चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य में बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि वहां प्रकाश प्रदूषण पर अनुसंधान और अध्ययन भी किए जाएंगे। ये ऑप्टिकल, इंफ्रा-रेड और गामा-रे टेलीस्कोप के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे स्थानों में से एक होगा। केंद्रीय मंत्री ने जितेंद्र सिंह राजधानी दिल्ली में लद्दाख के उपराज्यपाल आर के माथुर के साथ बैठक के बाद ये जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि डार्क स्काई रिजर्व साइट में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के हस्तक्षेप के माध्यम से स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए गतिविधियां की जाएंगी। उन्होंने बताया कि हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) लेह और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) द्वारा डार्क स्काई रिजर्व शुरू करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे।

उन्होंने कहा कि हनले इस परियोजना के लिए सबसे उपयुक्त जगह है क्योंकि यह लद्दाख के ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्र में स्थित है। वहां किसी भी प्रकार की मानवीय अशांति और साफ आसमान की स्थिति और शुष्क मौसम की स्थिति पूरे वर्ष मौजूद रहती है।

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