पलक झपकते ही PoK में आतंकी शिविरों को नष्ट कर देंगे छोटे घातक ड्रोन, तैयारी कर रहा भारत

Vavdos ore, the abandoned magnesite pit near Vavdos village in the mountains of Chalkidiki, Greece. (Photo by Nicolas Economou/NurPhoto via Getty Images)

देश में छोटे आकार के ऐसे घातक ड्रोन तैयार किए जा रहे हैं जो जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों और उनके शिविरों को कुछ ही मिनटों में ध्वस्त कर देंगे।

देश में छोटे आकार के ऐसे घातक ड्रोन तैयार किए जा रहे हैं जो जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों और उनके शिविरों को कुछ ही मिनटों में ध्वस्त कर देंगे। उद्योग जगत की मदद से सेना ने छोटे आर्म्ड ड्रोन तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले चरण में ऐसे 475 ड्रोन बनाए और खरीदे जाएंगे। ये मल्टी रोटर ड्रोन होंगे जो पांच किलो वजन के एक से अधिक घातक पे लोड ले जाने में सक्षम होंगे।

सेना के सूत्रों ने कहा कि स्वार्म ड्रोन को सेना में शामिल करने के बाद अब सारा ध्यान आर्म्ड ड्रोन तैयार करने पर है। सेना की तरफ से इसके लिए मेक-2 प्रोजेक्ट के तहत उद्योग जगत से प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं जिनमें कहा गया है कि वे 50 फीसदी देशी कंटेंट के साथ मल्टी रोटर ड्रोन तैयार करें। ये ड्रोन तीन किलोमीटर की ऊंचाई तक लगातार तीन घंटे उड़ान भर सकेंगे तथा 50 किलोमीटर तक दूर जाकर हमला करने में सक्षम होंगे। इसका मतलब हुआ कि पीओके का करीब-करीब सारा क्षेत्र इनकी जद में आ जाएगा। मल्टी रोटर ड्रोन में एक से अधिक पे लोड ले जाने की जगह और क्षमता होती है। इसलिए इन ड्रोन में पांच-पांच किलो के कई गाइडेड विस्फोटक या हथियार ले जाए जा सकेंगे जैसे मोर्टार या गाइडेड बम आदि। नियंत्रण कक्ष से ही लक्ष्य निर्धारित करके ड्रोन से अचूक हमला करना भी संभव होगा।

ड्रोन को लेकर व्यापक रणनीति
भारत ने एक ओर स्वार्म ड्रोन को सेना में शामिल कर लिया है, वहीं नौसेना, कोस्ट गार्ड में निगरानी के लिए हेलिकॉप्टर की जगह अब ड्रोन का इस्तेमाल शुरू किया जा रहा है। निगरानी के लिए स्वार्म ड्रोन समेत कई प्रकार के ड्रोन देश में ही निर्मित हो रहे हैं और इस मामले में काफी हद तक भारतीय सेनाएं आत्मनिर्भर हो गई हैं।

प्रीडेटार ड्रोन खरीदने के भी प्रयास
रक्षा मंत्रालय अमेरिका से प्रीडेटार ड्रोन खरीदने के भी प्रयास कर रहा है। यह वही ड्रोन हैं जिनके जरिए अमेरिका अपने दुश्मनों को चुन-चुन कर मार रहा है। हाल में आतंकी अल जवाहिरी को इस ड्रोन हमले में मारा गया था। इस ड्रोन में विस्फोटक नहीं बल्कि एक छोटी मिसाइल लगी होती है। इससे वह सीधे लक्ष्य पर ही हमला करता है तथा नागरिकों या संपत्ति को नुकसान नहीं होता है। सूत्रों के अनुसार, ऐसे 30 ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका से बातचीत चल रही है। थल, जल और नभ सेना को ऐसे 10-10 ड्रोन दिए जाएंगे।

डीआरडीओ भी बना रहा आर्म्ड ड्रोन
डीआरडीओ के दो यूएवी रुस्तम और घटक महत्वपूर्ण मुकाम पर पहुंच चुके हैं। इन्हें सर्विलांस के साथ-साथ आर्म्ड ड्रोन के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। काफी हद तक डीआरडीओ को इसमें सफलता मिली है लेकिन अभी इनमें हथियारों को फिट करके लांच करने का परीक्षण होना बाकी है। बतौर यूएवी ये दोनों वाहन सफल हो चुके हैं।

एंटी ड्रोन तकनीक पर भी काम
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा एंटी ड्रोन तकनीक विकसित करने की दिशा में भी कार्य चल रहा है। इसके लिए इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम विकसित किया जा रहा है। साथ ही एक लो लेवल राडार के विकास पर भी कार्य आरंभ किया गया है जिसके जरिये दुश्मन के ड्रोन हमलों को रोका जा सकेगा।

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